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Saturday 17 December 2016

किसको कहें अपना, कौन है सहारा...

किसको कहें अपना, कौन है सहारा,
ख़ुदग़र्ज़ी में डूबा है ये जहान सारा,

दिल को लग जाए अच्छी वो बात नहीं होती,
मेरे ग़म की तेरे चश्म से बरसात नहीं होती,


इस हाल को न समझे, इस हाल को न जाने,
तन्हा ही जी रहे हैं ग़ुजरे हुए ज़माने,

लफ़्ज़ों की है ज़बानी, लफ़्ज़ों से है सुनानी,
कुछ दिन की बात है ये फिर ख़त्म है कहानी,

मेरी बेइंतहा मोहब्बत मेरी ख़ूबियों पे भारी,
मेरे अख़लाक़ की तस्वीर क्या ख़ूब है उतारी,

क्यों इस क़दर ग़मों से भर जाता हूं,
तुम्हें कोई और देखे तो डर जाता हूं,

काश तुमने भी ज़रा मोहब्बत दिखाई होती,
कभी प्यार से ये बात समझाई होती,

मेरे दिमाग़ के फ़ितूर नहीं मर सकते,
वो कहते है के अरमान नहीं सुधर सकते,

तुम्हारी सोच से ज़्यादा बद्तर नहीं हूं,
तुम बदल गए हो मैं आज भी वहीं हूं....

Wednesday 21 September 2016

तुम सोचों, मैं तुम्हारे बारे में क्या सोचता हूं

तुम सोचों, मैं तुम्हारे बारे में क्या सोचता हूं
मैं सोचूं तो लगता है तुम मुझे सोच रही हो

अक्सर सोचता हूं के तुमने क्या सोचा होगा
जो तुमने सोचा, क्या मैं भी वही सोचता हूं

या फिर तुम्हारी सोच मेरी सोच से कुछ जुदा है
फिर सोचता हूं , सोचने से क्या होगा

 यही सोचकर नहीं सोचता हूं
कि शायद मैं तुम्हारी सोच में नहीं

तो क्या मैं भी तुम्हें सोचना बंद कर दूं
ये सोचता हूं तो डर लगता है
कहीं तुमने मुझे सोचना तो नहीं बंद कर दिया

Thursday 28 July 2016

तेरे बिन जीना तो इक बहाना है

तेरे बिन जीना तो इक बहाना है
ये जिस्म नहीं रूह का क़ैदख़ाना है
ज़िंदगी कट रही कुछ इस तरह
 महज़ सांसों का आना जाना है

निगाहों को हो गई है तेरी आदत
पूजा करूँ मैं या करूँ इबादत
शोख़ आंखों में डूब जाना है
तेरे बिन जीना तो इक बहाना है

फुरसत ही नहीं तेरे ख्यालों से
गुज़रते हैं  पल अनकहे सवालों से
लगता है जैसे रिश्ता कोई पुराना है
तेरे बिन जीना तो इक बहाना है

आओ के दिल बदलते हैं
इस ज़माने से दूर कहीं चलते हैं
 जान तू ही अरमान का तराना है
तेरे बिन जीना तो इक बहाना है।