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Thursday 16 March 2017

पता नहीं कौन सी वो रात होगी 
जब आसमान में चांद होगा 
और हर तरफ चांदनी होगी 
मखमली हाथ छू रहे होंगे अहसासों को 
शरम-ओ-हया भी रुखसती की तैयारी में होगी 
तुम्हारी खूबसूरत सी बातूनी आंखे 
न जाने कितनी बातें कहने को बेताब होंगी 
धड़कते दिलों की सांसों में तपिश होगी 
जो पिघला रहे होंगे हर एक बंदिश  
मोहब्बत के समंदर की बेबाक मौजें 
जिसमें डूबने की हर पल चाहत होगी 
सोचता हूं, बाहों में सारे 'अरमान' भरके 
पूरा तेरा हर ख़्वाब कर दूं 
आसमां से सितारे चुनके तेरी मांग भर दूं...

पता नहीं कौन सी वो रात होगी

पता नहीं कौन सी वो रात होगी 
जब आसमान में चांद होगा 
और हर तरफ चांदनी होगी 
मखमली हाथ छू रहे होंगे अहसासों को 
शरम-ओ-हया भी रुखसती की तैयारी में होगी 
तुम्हारी खूबसूरत सी बातूनी आंखे 
न जाने कितनी बातें कहने को बेताब होंगी 
धड़कते दिलों की सांसों में तपिश होगी 
जो पिघला रहे होंगे हर एक बंदिश  
मोहब्बत के समंदर की बेबाक मौजें 
जिसमें डूबने की हर पल चाहत होगी 
सोचता हूं, बाहों में सारे 'अरमान' भरके 
पूरा तेरा हर ख़्वाब कर दूं 
आसमां से सितारे चुनके तेरी मांग भर दूं...

Tuesday 14 March 2017

इबादत हो गई पूरी कज़ा आज भी बाक़ी है

झुकी झुकी सी निगाहों का मज़ा आज भी बाक़ी है
जो नज़र से कर गए क़त्ल सज़ा आज भी बाक़ी है
फ़ना होने को तो अब कुछ और न बचा
इबादत हो गई पूरी कज़ा आज भी बाक़ी है

ख़्याल से भी आपका ख़्याल नहीं जाता
 इक यही जिंदगी का सवाल नहीं जाता
न जाने क्यों लगता है रज़ा आज भी बाक़ी है
इबादत हो गई पूरी कज़ा आज भी बाक़ी है

मेरे सीने में रेंगती हैं तेरी सांसें
खुद को ढूंढके अब लाऊं कहां से
'अरमान' लुट गए जज़ा आज भी बाक़ी है
इबादत हो गई पूरी कज़ा आज भी बाक़ी है