www.hamarivani.com

Saturday 4 April 2015

कुछ इस कदर तुझपे ऐतबार हुआ है

कुछ इस कदर तुझपे ऐतबार हुआ है
चरागों को हवाओं से प्यार हुआ है
मिसालें जीत की देता रहा जिसकी जमाना
वहीं शिकस्त होने को तैयार हुआ है

कशिश है तुझमें गजब का हुनर है
आंखों से तेरी झांके शामो सहर है
कत्ल होने को दिल तैयार हुआ है
कुछ इस कदर तुझपे ऐतबार हुआ है

लफ्जों का तेरा जादू बोल रहा है
कुछ इस तरह मेरा ईमां डोल रहा है
‘अरमान’ की चाहत पे तेरा वार हुआ है
कुछ इस कदर तुझपे ऐतबार हुआ है