कुछ इस कदर तुझपे ऐतबार हुआ है
चरागों को हवाओं से प्यार हुआ है
मिसालें जीत की देता रहा जिसकी जमाना
वहीं शिकस्त होने को तैयार हुआ है
कशिश है तुझमें गजब का हुनर है
आंखों से तेरी झांके शामो सहर है
कत्ल होने को दिल तैयार हुआ है
कुछ इस कदर तुझपे ऐतबार हुआ है
लफ्जों का तेरा जादू बोल रहा है
कुछ इस तरह मेरा ईमां डोल रहा है
‘अरमान’ की चाहत पे तेरा वार हुआ है
कुछ इस कदर तुझपे ऐतबार हुआ है
चरागों को हवाओं से प्यार हुआ है
मिसालें जीत की देता रहा जिसकी जमाना
वहीं शिकस्त होने को तैयार हुआ है
कशिश है तुझमें गजब का हुनर है
आंखों से तेरी झांके शामो सहर है
कत्ल होने को दिल तैयार हुआ है
कुछ इस कदर तुझपे ऐतबार हुआ है
लफ्जों का तेरा जादू बोल रहा है
कुछ इस तरह मेरा ईमां डोल रहा है
‘अरमान’ की चाहत पे तेरा वार हुआ है
कुछ इस कदर तुझपे ऐतबार हुआ है
बहुत खूब ... इस ऐतबार के सदके ...
ReplyDeleteलाजवाब रचना ...
naswa ji shukriya..
Deletearman sahhab!!!! kya bat!!
ReplyDeletethank u lori...
Deleteबहुत खूब बहुत ही उम्दा रचना।
ReplyDeleteshukriya kahkashan ji..
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