पता नहीं कौन सी वो रात होगी
जब आसमान में चांद होगा
और हर तरफ चांदनी होगी
मखमली हाथ छू रहे होंगे अहसासों को
शरम-ओ-हया भी रुखसती की तैयारी में होगी
तुम्हारी खूबसूरत सी बातूनी आंखे
न जाने कितनी बातें कहने को बेताब होंगी
धड़कते दिलों की सांसों में तपिश होगी
जो पिघला रहे होंगे हर एक बंदिश
मोहब्बत के समंदर की बेबाक मौजें
जिसमें डूबने की हर पल चाहत होगी
सोचता हूं, बाहों में सारे 'अरमान' भरके
पूरा तेरा हर ख़्वाब कर दूं
आसमां से सितारे चुनके तेरी मांग भर दूं...
जब आसमान में चांद होगा
और हर तरफ चांदनी होगी
मखमली हाथ छू रहे होंगे अहसासों को
शरम-ओ-हया भी रुखसती की तैयारी में होगी
तुम्हारी खूबसूरत सी बातूनी आंखे
न जाने कितनी बातें कहने को बेताब होंगी
धड़कते दिलों की सांसों में तपिश होगी
जो पिघला रहे होंगे हर एक बंदिश
मोहब्बत के समंदर की बेबाक मौजें
जिसमें डूबने की हर पल चाहत होगी
सोचता हूं, बाहों में सारे 'अरमान' भरके
पूरा तेरा हर ख़्वाब कर दूं
आसमां से सितारे चुनके तेरी मांग भर दूं...
आमीन ... आपकी इच्छा पूरी हो ...
ReplyDeleteभावपूर्ण और नाजुक शब्दों से गढ़ी रचना ....
शुक्रिया...
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