आसिफ इकबाल
देश की राजधानी दिल्ली से जुड़े एक शहर में लड़की की उसके नौकर समेत हत्या कर दी जाती है। केस खुला हुआ होता है, पर उस केस को सुलझाने में हमारी पुलिस को कई सालों बाद सफलता मिलती है। दिल्ली में इजरायली दूतावास के पास कार में विस्फोट होता है। इसकी जांच करने के लिए इजरायल से विशेष जांच दल आता है। और हमारे देश की सुरक्षा एजेंसी उनकी फाइल पकड़ के खड़ी रहती हैं। जांच के नाम पर अमेरिकी कुत्ते भी भारत के महापुरुषों की समाधि में आकर टांग उठाकर मूत जाते हैं। और हमारे देश की सुरक्षा एजेंसी के काबिल सिपाही कुत्ते के मूत की जांच में जुट जाते हैं कि इनके कुत्ते क्या खाते हैं, जो हमसे ज्यादा अच्छी तरह से जानकारी जुटा लेते हैं। इनका बस चले तो ये विदेशी सुरक्षा एजेंसियों से ये कहने लगें कि इन कुत्तों के गले का पट्टा हमारे गले में क्यों नहीं डाल देते। हमारे गले में तो वैसे भी सत्ता का पट्टा डला होता है। आप के पास तो दुनिया की सत्ता का पट्टा है। आप तो कई देशों के गले में पट्टा डाले हुए हैं। किसी की मजाल जो आपके सामने भौंक जाए।
विदेशी जांच दल में आए एक अमेरिकी अधिकारी ने देसी सुरक्षा एजेंसी के अधिकारी से सवाल किया, तुम्हारे रहते हमें तुम्हारे देश में क्यों आना पड़ता है। देसी अधिकारी:, दरअसल हमारे पास और भी बहुत से काम हैं। हम आपकी तरह फ्री नहीं रहते हैं। अब यही देखिए, 9/11 के बाद से आपके लिए काम का टोटा हो गया है। न तो आपके यहां कोई बड़ी आतंकी घटना हुई और न ही कोई बड़ा घोटाला हुआ, जबकि हमारे पास तो इतना काम है कि इसे निपटाने के लिए आप जैसे लोगों को काम देना पड़ता है ताकि आपके भी बच्चे पलते रहें। हमारे देश के रहनुमा काफी दयालु स्वभाव के हैं। आपके राष्ट्रपति जी तो खुद आए थे नौकरी मांगने यहां। अब हमारे यहां नौकरी तो हैं नहीं, इसी प्रकार आपकी मदद कर देते हैं। यहां आपके लायक काम करने की पूरी गांरटी है। अब यहीं देखिए कि जहां आप खड़े हैं, पता नहीं कब यहां भी विस्फोट हो जाए। और आपकी जांच करने के लिए कोई दूसरा दल विदेश से रवाना कर दिया जाए। विदेशी जांच दल का अधिकारी छिटक के दूर खड़ा हो जाता है। देसी अधिकारी: अरे साहब डरिए नहीं, जिस जांच के लिए आप यहां तशरीफ लाए हैं, वो हमें पता है कि ये विस्फोट किसने करवाया है। हमारा सबसे बड़ा सहयोगी मीडिया है, जो विस्फोट के दस मिनट के अंदर पूरी दुनिया को ये बात बता देता है कि घटना में किसका हाथ है। फिर हमें बोलने की कोई जरूरत ही नहीं होती है। विदेशी अधिकारी:, सुना है आपकी सीआईडी बहुत तेजी से केस को सॉल्व कर देती है। देसी अधिकारी:, अरे आप भी लगता है मेरी बीवी की तरह टीवी के नशेड़ी हैं। आपके पास कोई काम नहीं है, तो दिन भर टीवी से चिपके रहते होगे। और इसी वजह से आपने टीवी वाली सीआईडी को देख लिया होगा। भला आप ही बताइए, एक घंटे में कहीं केस सॉल्व किया जाता है क्या? हम पूरी तरह से केस को स्टडी करने के बाद ही किसी नतीजे में पहुंचते हैं। अब समझ में आया कि लादेन को मारने में आप लोगों को इतना टाइम क्यों लगा। आपके पास भी तो जेम्स बांड था, तो पकड़ लेते दो घंटे में पिक्चर की तरह। ऐसे तो हमारे पास शक्तिमान, क्रिश और रॉ-वन भी हैं, जो पलक झपकते ही दुश्मनों को ढेर कर देते हैं। सबसे बड़ा हथियार साउथ के सुपर स्टार रजनीकांत हैं, जो असंभव को संभव करने के लिए जाने जाते हैं और अभी तक उनके इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं पड़ी। बात करते हैं आप भी। चलिए आप जांच करिए, हमें और भी बहुत से काम हैं, नेताजी का फोन आया है कि किसी नेता को पार्टी से निकाल दिया है और उन्हें शक है कि उसने अपने पद में रहकर बहुत माल कमाया है। हमारे देश में तो जांच का सबसे बड़ा विषय यही है भैया। विदेशी अधिकारी जाते हुए देसी अधिकारी का मुंह ताकता रह गया और अपनी कार्यप्रणाली की जांच करने लगा। जय हिंद!
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