आप सभी को अवगत कराना चाहता हूं कि इस व्यंग्य को मैंने तब लिखा था जब जनरल वीके सिंह सेना अध्यक्ष थे और रियारमेंट से पहले बोल रहे थे कि हमारी सेना के पास उच्च कोटि के हथियार नहीं हैं. चौकीदार-वीके सिंह चौधरी - अमेरिका प्रधान मंनमोहन सिंह (तत्कालीन प्रधानमंत्री)
गांव के लोगों में खुसर-पुसर मची थी। स•ाी गफलत में थे कि आखिर गांव में चल क्या रहा है। पूरा गांव झम्मनलाल को ढूंढ रहा था। इतने में झम्मनलाल कंधे पर कई लाठियां लादकर देश की अर्थव्यवस्था की तरह डगमगाता चला आ रहा था। लोगों ने झम्मन का अफवाहों की तरह स्वागत किया। क्योंकि हमारे गांव के लोग अफवाहों को हाथोंहाथ लेते हैं। झम्मनलाल ने इससे पहले क•ाी इतना सम्मान नहीं पाया था। घसीटे ने झम्मन के कंधों से लाठियां उतारीं और पूछा: क्या बात है झम्मन, इतनी सारी लाठियां लेकर क्यों आ रहे हो?
झम्मन: अबे पहले पानी पिला, प्यास से गला सूख रहा है। तुम्हें तो अपनी जान की फिकर है नहीं, और जो तुम्हारी जान-माल की हिफाजत के लिए ये सब कर रहा है, उसे मार डालो प्यासा। घसीटे ने तुरंत झम्मन को पानी का गिलास पकड़ाते हुए कहा: आखिर माजरा क्या है?
झम्मन: क्या माजरा-माजरा करते हो। कहीं माजरा के चक्कर में तुम सब की मजार न बन जाए। तुम्हें तो पता है कि हमारे पड़ोसी गांव हमसे कितना चिढ़ते हैं। जहां देखते हैं तरी, वहीं बिछा लेते हैं दरी। गांव के कितने खेतों में उनके बिजूका खड़े होकर हमारे जानवरों को डरा रहे हैं। हमारे गांव के प्रधान ऐसे हैं कि वो खुद बिजूका बनकर हमे डराते हैं। वो गांव का चौकीदार पता नहीं क्या-क्या बोलता फिर रहा है।
घसीटे: तुमने मजार की बात कर दी, अब मुझे डर लग रहा है। अब झम्मन बता •ाी दो क्या बात है। झम्मन: दरअसल बात है हमारे गांव के चौकीदार की। घसीटे: अरे वो चौकीदार जो बोल रहा था कि वो हमाए लल्ला से छोटा है। सबने कह तो दिया था कि हां •ााई तुम छोटे हो। अब क्या ये बोल रहा है कि मुझे दोबारा जनम लेना है?
झम्मन : हां, हां वही। उसने प्रधान को चिट्ठी लिखी थी कि गांव में सुरक्षा के इंतजाम ठीक नहीं हैं। उसकी लाठी को महंगाई की वजह से तेल नहीं मिल पाया। जिसकी वजह से वो कमजोर हो गई है। रात को पहरा देने के लिए लालटेन में •ाी तेल नहीं है। कुल मिलाकर झेलो मुसीबत। वो चिट्ठी प्रधान तक पहुंचने से पहले अपने गांव के काबिल लेखू पत्रकार के पास पहुंच गई और उसने गांव की समस्याओं के साथ-साथ इस समस्या को •ाी अखबार में छाप दिया। बात पड़ोसी गांवों को •ाी पता चल गई। मैं जा रहा था शहर, तो मैंने रास्ते में देखा कि पड़ोसी गांव के लोग अपनी लाठी को तेल पिला रहे थे, नए-नए बिजूके खड़े कर रहे थे। उन्हें पता चल गया है कि हमारा चौकीदार अगर ये बात बोल रहा है तो सही होगी। नाश हो इस चौकीदार का। इतने साल से चौकीदारी कर रहा है, पहले कुछ नहीं बोला। जब जाने वाला है तो अचानक इसे गांव की सुरक्षा व्यवस्था खराब लगने लगी।
घसीटे ने सहमकर कहा: तो चलो सरपंच ननकू से शिकायत करते हैं पड़ोसियों की। एक वही हैं जो हमारी फरियाद ध्यान से सुनते हैं।
झम्मन: नाम मत लो ननकू का। कल की बात सुनी तुमने, पहले तो ननकू बोले कि जो आदमी हमारे गांव में आग लगा गया था और पड़ोसी गांव में छिपा बैठा है, उसका पता बताने वाले को ईनाम दिया जाएगा। जब उस आदमी ने बोल दिया कि मैं तुम्हारी औकात जानता हूं। अपने निर्णय को बदलो, वरना तुमसे लाठियां खरीदना बंद। तुम्हें तो पता है कि सरपंच लाठियां बेचकर ही अपना काम चलाते हैं। तो आज वो हमसे बोल रहे हैं कि हमने उसके अपराध के सबूत लाने के लिए ईनाम घोषित किया है। और तुम्हें तो पता है कि हमारे सबूतों का इन पर कितना असर होता है। अपने गांव के माननीय जब इनके गांव जाते हैं तो कपड़े उतरवाकर चेक करके सबूत मांगते हैं। हम सूखे से जूझ रहे हैं। एक गांव से पानी की नहर लानी थी तो सरपंच ने बोल दिया कि तुम्हारे गांव के खेत सूखते हैं, तो सूखने दो। तुम उस गांव से नहर नहीं निकाल सकते। क्योंकि वो गांव सरपंच पर लाठी ताने खड़ा है। •ाइया दुनिया •ार में लाठियां चल रही हैं। इसलिए चौकीदारों के •ारोसे मत रहो और अपनी हिफाजत खुद करो।
कल 27/जुलाई /2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
आपका आभार यश जी,,,
Deleteक्या बात है, बहुत खूब लिखा है आपने
ReplyDeleteसादर शुक्रिया स्मिता,,,
Deleteबहुत बढ़िया
ReplyDeletethank you mishra ji...
Deleteआप सभी को अवगत कराना चाहता हूं कि इस व्यंग्य को मैंने तब लिखा था जब जनरल वीके सिंह सेना अध्यक्ष थे और रियारमेंट से पहले बोल रहे थे कि हमारी सेना के पास उच्च कोटि के हथियार नहीं हैं.
ReplyDeleteचौकीदार-वीके सिंह
चौधरी - अमेरिका
प्रधान मंनमोहन सिंह (तत्कालीन प्रधानमंत्री)
हाहा.. बढ़िया लिखा है.. जो आपने आखरी टिप्पणी डाली है, उसे पोस्ट में ही डाल दीजिये *सितारा लगा कर..
ReplyDeleteok prateek ji...
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