कभी ख़ुद को पाऊं कभी खो जाऊं
चलो आज थोड़ा वक्त सा हो जाऊं
इन लम्हों को कर दूं ज़रा आवारा
थोड़ा सा हंस लूं थोड़ा रो जाऊं
चलता रहूं दिन रात
करता रहूं बातों में बात
कहां ठहरूं कहां सो जाऊं
चलो आज थोड़ा वक्त सा हो जाऊं
सफ़र में मेरे संग होते बहुत हैं
किसको रोकूं सब खोते बहुत हैं
यादों के दरिया में ख़ुद को डुबो जाऊं
चलो आज थोड़ा वक्त सा हो जाऊं
कुछ अरमां ,कुछ सपने साथ चलते हैं
कुछ बनते हैं मिसाल, कुछ हाथ मलते हैं
कहीं आसमां तो कहीं ज़मीं हो जाऊं
चलो आज थोड़ा वक्त सा हो जाऊं...
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