तन्हाइयों ने कुछ इस क़दर जगह बना ली है
आइने में अक्स देखूं तो आइना भी ख़ाली है
गिला किससे करें किससे करें शिकवा
मोहब्बत ने ये अजीब सी आदत डाली है
शिकार करती हैं मुझे दिन रात तेरी यादें
बड़े नाज़ों से मैंने जी जान से जो पाली हैं
वजूद अपना तो पहले ही खो चुके थे हम
फिर किस बात की ये दुश्मनी निकाली है
अंधेरा घना है, आओगे लौट के इक दिन
बस इस उम्मीद से रौशनी जला ली है
देखकर हैरान न हो जाना हमारी महफ़िल को
चांद-तारों से सजी क़ायनात बुला ली है
कोई बेवजह की चीज़ नहीं मेरे 'अरमान'
बड़ी हसरतों से तेरी चाहतें संभाली हैं....
आइने में अक्स देखूं तो आइना भी ख़ाली है
गिला किससे करें किससे करें शिकवा
मोहब्बत ने ये अजीब सी आदत डाली है
शिकार करती हैं मुझे दिन रात तेरी यादें
बड़े नाज़ों से मैंने जी जान से जो पाली हैं
वजूद अपना तो पहले ही खो चुके थे हम
फिर किस बात की ये दुश्मनी निकाली है
अंधेरा घना है, आओगे लौट के इक दिन
बस इस उम्मीद से रौशनी जला ली है
देखकर हैरान न हो जाना हमारी महफ़िल को
चांद-तारों से सजी क़ायनात बुला ली है
कोई बेवजह की चीज़ नहीं मेरे 'अरमान'
बड़ी हसरतों से तेरी चाहतें संभाली हैं....
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