दूर जाकर भी पास हमें पाओगी
दिल में रहकर भी याद बहुत आओगी
जुदा होकर भी तन्हा खुद को न समझना
बाहों में थाम लेंगे जब भी लड़खड़ाओगी
मेरे महबूब न जाने वो आलम क्या होगा
लम्हा-लम्हा कैसे वक्त से जुदा होगा
खिलेंगे फूल आंगन में जब मुस्कराओगी
दूर जाकर भी पास हमें पाओगी
रहेंगे पास तेरे हरदम एहसास बनकर
करेंगे हिफाज़त तेरी हम हवा बनकर
खड़े रहेंगे वहां, जहां नज़र घुमाओगी
दूर जाकर भी पास हमें पाओगी
ताउम्र तेरी आमद का इंतज़ार रहेगा
प्यार की हद से भी आगे मेरा प्यार रहेगा
हो जाउंगा रौशन जब शमा जलाओगी
दूर जाकर भी पास हमें पाओगी
जो मन में है तुम्हारे वो मैं जान गया हूं
जज्बातों के आगे हार मान गया हूं
हथेली की लकीरों को कैसे मिटाओगी
दूर जाकर भी पास हमें पाओगी
दिल में रहकर भी याद बहुत आओगी
जुदा होकर भी तन्हा खुद को न समझना
बाहों में थाम लेंगे जब भी लड़खड़ाओगी
मेरे महबूब न जाने वो आलम क्या होगा
लम्हा-लम्हा कैसे वक्त से जुदा होगा
खिलेंगे फूल आंगन में जब मुस्कराओगी
दूर जाकर भी पास हमें पाओगी
रहेंगे पास तेरे हरदम एहसास बनकर
करेंगे हिफाज़त तेरी हम हवा बनकर
खड़े रहेंगे वहां, जहां नज़र घुमाओगी
दूर जाकर भी पास हमें पाओगी
ताउम्र तेरी आमद का इंतज़ार रहेगा
प्यार की हद से भी आगे मेरा प्यार रहेगा
हो जाउंगा रौशन जब शमा जलाओगी
दूर जाकर भी पास हमें पाओगी
जो मन में है तुम्हारे वो मैं जान गया हूं
जज्बातों के आगे हार मान गया हूं
हथेली की लकीरों को कैसे मिटाओगी
दूर जाकर भी पास हमें पाओगी
रहेंगे पास तेरे हरदम एहसास बनकर
ReplyDeleteकरेंगे हिफाज़त तेरी हम हवा बनकर
खड़े रहेंगे वहां, जहां नज़र घुमाओगी
दूर जाकर भी पास हमें पाओगी
वाह।।। बेहतरीन
:)
ReplyDeleteBahut sunder !!
ReplyDeleteShukriya pari ji
Deleteरहेंगे पास तेरे हरदम एहसास बनकर
ReplyDeleteकरेंगे हिफाज़त तेरी हम हवा बनकर
खड़े रहेंगे वहां, जहां नज़र घुमाओगी
दूर जाकर भी पास हमें पाओगी ..
बहुत खूब ... प्रेम की इस इन्तहा को बाखूबी लिखा है शब्दों में ....
सादर आभार दिगंबर जी,,,
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