क्यों भाग रहा उस मंज़िल की तरफ
कहता चीख-चीख के हर इक हरफ
ठिकाना तेरा यहाँ नहीं
जो छोड़ गया बीच राह में कहीं
माना के वहां तन्हाई है
साथ तेरे तेरी परछाई है
फिर कहाँ तू अकेला है
जो चला गया वो खुद अकेला है
तू तो वहीँ पर है
उसे अपनी मंज़िल का डर है
तू जितना भी पीछे भागेगा
वो उतना ही आगे भागेगा
ठहर जा सांस लेले
बड़े ज़ालिम हे ज़िंदगी के मेले
तेरे पास खोने को कुछ नहीं
उसके पास रोने को कुछ नहीं
जब कभी रास्ता भटक जाएगा
लौटकर फिर इसी राह पर आएगा
उसे उसके हाल पर छोड़ दे
अपने क़दमों को वापस मोड़ दे
इंतज़ार कर शायद वो आ जाये
बस तेरा चेहरा न बदलने पाये
अगर कहीं तू बदल जाएगा
लौटने वाला पहचान न पाएगा
अरमान फिर बहुत वो घबराएगा
दुनिया की भीड़ में कहीं खो जाएगा।।।।
कहता चीख-चीख के हर इक हरफ
ठिकाना तेरा यहाँ नहीं
जो छोड़ गया बीच राह में कहीं
माना के वहां तन्हाई है
साथ तेरे तेरी परछाई है
फिर कहाँ तू अकेला है
जो चला गया वो खुद अकेला है
तू तो वहीँ पर है
उसे अपनी मंज़िल का डर है
तू जितना भी पीछे भागेगा
वो उतना ही आगे भागेगा
ठहर जा सांस लेले
बड़े ज़ालिम हे ज़िंदगी के मेले
तेरे पास खोने को कुछ नहीं
उसके पास रोने को कुछ नहीं
जब कभी रास्ता भटक जाएगा
लौटकर फिर इसी राह पर आएगा
उसे उसके हाल पर छोड़ दे
अपने क़दमों को वापस मोड़ दे
इंतज़ार कर शायद वो आ जाये
बस तेरा चेहरा न बदलने पाये
अगर कहीं तू बदल जाएगा
लौटने वाला पहचान न पाएगा
अरमान फिर बहुत वो घबराएगा
दुनिया की भीड़ में कहीं खो जाएगा।।।।
खट्टी-मीठी यादों से भरे साल के गुजरने पर दुख तो होता है पर नया साल कई उमंग और उत्साह के साथ दस्तक देगा ऐसी उम्मीद है। नवर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
ReplyDeletebeshak sanjay ji...
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