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Saturday, 4 November 2017

सियाह रात में रौशनी जलाएं तो जलाएं कैसे

सियाह रात में रौशनी जलाएं तो जलाएं कैसे
बेचैन से दिल को बहलाएं तो बहलाएं कैसे
नींद ने मोड़ ली हैं इस गली से नज़रें
हो गईं पत्थर आंखें सुलाएं तो सुलाएं कैसे

हर तरफ सुकून ओ ख़ामोशी है छाई
तेरी याद मुझे फिर छेड़ने है आई
बड़ी नादां है समझाएं तो समझाएं कैसे
सियाह रात में रौशनी जलाएं तो जलाएं कैसे

चलो आसमां को भी परेशां किया जाए
रात को भी चांद से जुदा किया जाए
तारों को ज़मीं पर बुलाएं तो बुलाएं कैसे
सियाह रात में रौशनी जलाएं तो जलाएं कैसे

कोई बाज़ार हो तो बताना ज़रा
कोई क़ीमत हो तो लगाना ज़रा
'अरमान' की बोली लगाएं तो लगाएं कैसे
सियाह रात में रौशनी जलाएं तो जलाएं कैसे...

#अरमान

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