जज़्बातों से बोल दिया है
परदा उठाएंगे जाना नहीं कहीं
रातों से बोल दिया है
चांदनी जगाएंगे जाना नहीं कहीं
हवाओं से बोल दिया है
फिज़ा महकाएंगे जाना नहीं कहीं
जश्न से बोल दिया है
महफिल सजाएंगे जाना नहीं कहीं
अरमान से बोल दिया है
इश्क फरमाएंगे जाना नहीं कहीं
सांसों से बोल दिया है
वो आएंगे जाना नहीं कहीं
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