ख़ामोश रहे लब
झुकते गए नैन
बढ़ती गई धड़कन
लुटता गया चैन
महकते रहे फूल
सुलगती रही रात
उड़ता रहा वक़्त
निकलती गई बात
घबराया सा इश्क़
जाती रही जान
रौशन रही शमां
बुझते रहे ‘अरमान’
#अरमान
झुकते गए नैन
बढ़ती गई धड़कन
लुटता गया चैन
महकते रहे फूल
सुलगती रही रात
उड़ता रहा वक़्त
निकलती गई बात
घबराया सा इश्क़
जाती रही जान
रौशन रही शमां
बुझते रहे ‘अरमान’
#अरमान
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