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Wednesday 22 August 2018

मैं ढूंढता हूं जब ख़ुद को

मैं ढूंढता हूं जब ख़ुद को
तेरे करीब पाता हूं
बड़ा संभालकर रखता हूं
न जाने कब पहुंच जाता हूं...

तेरा ख़्याल भी कुछ कम नहीं
पल-पल में चला आता है
मासूम सी मोहब्बत को
सोये से जगाता है
न पूछ कैसे ख़ुद को छिपाता हूं
बड़ा संभालकर रखता हूं
न जाने कब पहुंच जाता हूं...

तेरा इश्क़ भी किसी से कम नहीं
बड़ी मोहब्बत से खींचता है
दिल की बंजर ज़मीन को
तमन्नाओं से सींचता है
न पूछ कैसे ख़ुद को बचाता हूं
बड़ा संभालकर रखता हूं
न जाने कब पहुंच जाता हूं...

#अरमान

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