मैं ढूंढता हूं जब ख़ुद को
तेरे करीब पाता हूं
बड़ा संभालकर रखता हूं
न जाने कब पहुंच जाता हूं...
तेरा ख़्याल भी कुछ कम नहीं
पल-पल में चला आता है
मासूम सी मोहब्बत को
सोये से जगाता है
न पूछ कैसे ख़ुद को छिपाता हूं
बड़ा संभालकर रखता हूं
न जाने कब पहुंच जाता हूं...
तेरा इश्क़ भी किसी से कम नहीं
बड़ी मोहब्बत से खींचता है
दिल की बंजर ज़मीन को
तमन्नाओं से सींचता है
न पूछ कैसे ख़ुद को बचाता हूं
बड़ा संभालकर रखता हूं
न जाने कब पहुंच जाता हूं...
#अरमान
तेरे करीब पाता हूं
बड़ा संभालकर रखता हूं
न जाने कब पहुंच जाता हूं...
तेरा ख़्याल भी कुछ कम नहीं
पल-पल में चला आता है
मासूम सी मोहब्बत को
सोये से जगाता है
न पूछ कैसे ख़ुद को छिपाता हूं
बड़ा संभालकर रखता हूं
न जाने कब पहुंच जाता हूं...
तेरा इश्क़ भी किसी से कम नहीं
बड़ी मोहब्बत से खींचता है
दिल की बंजर ज़मीन को
तमन्नाओं से सींचता है
न पूछ कैसे ख़ुद को बचाता हूं
बड़ा संभालकर रखता हूं
न जाने कब पहुंच जाता हूं...
#अरमान
No comments:
Post a Comment