क्यों ऐसे हालात बन जाते हैं
तुझे सोचते हैं और ख्वाब बन जाते हैं,
वोह एक नज़र ही कमाल होती हैं,
जिन्हें देखें वोह नायाब बन जाते हैं
होगा कोई बादशाह किसी सल्तनत का,
तुझे देखकर सब ग़ुलाम बन जाते हैं
कोई बात तो है तुझमे,
ऐसे ही नही किस्से तमाम बन जाते हैं
रुख से पर्दा ज़रा कम ही हटाया करो,
इंसान भी यहाँ शैतान बन जाते हैं
सुना है वोह लोगों को अजमाते हैं,
हम भी कोई इम्तेहान बन जाते हैं
'अरमान' ज़रा संभलकर चलना इस राह पर,
अच्छे अच्छे उनके ज़ुल्म का शिकार बन जाते हैं.
अरमान आसिफ इकबाल
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