Wednesday, 9 January 2013
हसरतों के प्याले में उम्मीदों का जाम भर दो
हसरतों के प्याले में उम्मीदों का जाम भर दो
ऐ ज़ुल्म करने वाले एक नेकी का काम कर दो
और कब तक आज़माओगे सब्रवाले को
खुदा के लिए अब इस खेल का अंजाम कर दो
क्यों नहीं छीन लेते मेरा चैन -ओ -करार
रातों में आओ और नींदें हराम कर दो
गैरों से पता चला है की तुम्हे चाहते हैं
तुम भी कभी इशारों में फैसला कर दो
पल -पल को खर्च करके बनाई थी ख्वाबों की हवेली
कम से कम उसकी ही वसीयत मेरे नाम कर दो
बेजा न जाये मेरी मासूम मोहब्बत
जो कुछ भी बन रहा हो मेरा हिसाब कर दो .
अरमान आसिफ इकबाल
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