उस चौखट को देखें जहां हजारों दम निकलते हैं
जरा कमजोर हैं तालीम-ए-मोहब्बत में अरमान
बस यही सोचकर तो इश्क के इम्तेहान से डरते हैं
मन लगाकर पढ़ा है उसकी आंखों को
जेहन में रखा है उसकी बातों को
उसकी आदतों की भी नकल दिन रात करते हैं
बस यही सोचकर तो इश्क के इम्तेहान से डरते हैं
बस्ते में पड़ी रहती है हर पल की किताब
ढूंढते रहते हैं उसमें हर सवाल का जवाब
पन्नों के मुह से भी कहीं अल्फाज निकलते हैं
बस यही सोचकर तो इश्क के इम्तेहान से डरते हैं
इस मदरसे में उल्फत का उस्ताद कोई नहीं
जो लिख दिया, जो पढ़ लिया बस वही सही
यहां से नाकामी की डिग्रियां लेकर ही सब निकलते हैं
बस यही सोचकर तो इश्क के इम्तेहान से डरते हैं।।।
- अरमान आसिफ इकबाल
बहुत सुन्दर मीडियाई वेलेंटाइन तेजाबी गुलाब संवैधानिक मर्यादा का पालन करें कैग
ReplyDeleteshukriya shalini ji..
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