Thursday, 21 February 2013
उसके हाथों में तकदीर किसकी थी
अगर मेरेहाथों में उसकी तकदीर लिखी थी
तो उसके हाथों में तकदीर किसकी थी
मोहब्बत से भरे दो दिलों को जोड़ न पाई
उल्फत से बनी वोह ज़ंजीर किसकी थी
मतलब समझ में आ रहा है हर एक बहाने का
तुम्हे तो दर भी नहीं था नफरत -ए-ज़माने का
उन बेमतलब खूबसूरत लम्हों की तस्वीर किसकी थी
ज़रा ज़रा सी बात पर नाराज़ हो जाते थे
छोटी सी चोंट पर परेशां हो जाते थे
मेरे ज़ख्मों पर चलाई शमशीर किसकी थी
कहाँ ले जाऊं दिले नादाँ को
फूँक देना चाहता हूँ इस जहाँ को
बेवजह क्यूँ पाली पीर उसकी थी
कसमे वादे शीशे की तरह तोड़ देना
साथ चलते चलते रुख मोड़ लेना
'अरमान' कुछ ऐसी ही नजीर उसकी थी
अरमान आसिफ इकबाल
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बहुत खूब...मन के भावों की बेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteshukriya anusha ji
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति . सही आज़ादी की इनमे थोड़ी अक्ल भर दे . आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते
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