रगों में पानी नहीं खून दौड़ना चाहिए ,
वक़्त है दुश्मन की अब गर्दन मरोड़ना चाहिए ,
बन्दूक थमा दी हाथ में , सरहदों में बिठा दिया
दुश्मनों को घर बुलाकर महफिलों को सजा दिया
उनकी क्या औकात जो हमसे टकराएँगे
जोर से गर फूंक दें तो तिनके की तरह उड़ जाएँगे
हाथ में हथियार हैं पर चलाने की पाबन्दी है
देश पर जारी हैं हमले सियासत कितनी गन्दी है
मिलेगा जिस दिन भी मौका तब जलाल कर देंगे
दुश्मनों की ज़मीन को हम सुर्ख लाल कर देंगे
उस दिन तिरंगा शान से पडोसी मुल्क में लहराएगा
तब कहीं जाकर शहीदों को सुकूं मिल पाएगा...
...अरमान आसिफ इकबाल
कल 20/जुलाई /2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
आपका आभार यशवंत जी,,,
Deleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteधन्यवाद ओंकार जी,,,
Deleteउनकी क्या औकात जो हमसे टकराएँगे
ReplyDeleteजोर से गर फूंक दें तो तिनके की तरह उड़ जाएँगे
सार्थक प्रस्तुति
सादर आभार,,,
Deleteबहुत ही खूबसूरत जज्बात और बहुत ही जिंदादिल शब्द आसिफ जी. सचमुच ऐसे ही जज्बे की आज जरुरत है देश को..
ReplyDeleteजी सही फ़रमाया आपने स्मिता,,,
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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