दिल कुछ कहना चाहता है, कुछ इसकी भी सुन तो लो,
कब से दर पर बैठा है, कुछ लम्हें तुम भी चुन लो,
जब से तुमको देखा है, तेरी सूरत ने मुझको घेरा है,
बढ़ती दिल की उलझन है ये मेरा है या तेरा है
इश्क की गलियों में अक्सर मेरी बातें भी होती हैं,
आरजू-ए-मोहब्बत में मेरी वो आंख भर-भर रोती हैं,
हुस्न की गलियों में तेरे चर्चे मैंने होते देखे हैं,
अच्छे खासे बंदे भी होश ओ हवास खोते देखे हैं,
खुदा के इस बंदे पर अपनी रहमत की बौछार करो
शर्म-हया रखकर कोने में इस 'अरमान’ को प्यार करो
इश्क की गलियों में अक्सर मेरी बातें भी होती हैं,
ReplyDeleteआरजू-ए-मोहब्बत में मेरी वो आंख भर-भर रोती हैं..........बहुत खूब अरमान जी
सादर धन्यवाद अनुषा,,,:)
Deleteबहुत बढ़िया अरमान साहब।
ReplyDeleteधन्यवाद यश जी,,,
ReplyDeleteहुस्न की गलियों में तेरे चर्चे मैंने होते देखे हैं,
ReplyDeleteअच्छे खासे बंदे भी होश ओ हवास खोते देखे हैं,..
ab unke saamne aane par hosh n uden to sihq hi kya ... bahut lajawaab sher ...
धन्यवाद श्रीमान,,,
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