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Monday, 21 July 2014

तेरी सांसों की तपिश मेरी सांसों में है बाकी

तेरी सांसों की तपिश मेरी सांसों में है बाकी
तेरे नैनों ने बना दिया है मुझे साकी
होशवालों में अब मैं शुमार कहां
ख़बर नहीं रही मुझको इस जहां की

वो खूबसूरत आंचल जो तुमने लहरा दिया
गुजरते वक्त को कुछ इस तरह ठहरा दिया
जैसे किसी मर्ज को जरूरत होती है दवा की
ख़बर नहीं रही मुझको इस जहां की

तेरी रौनक से आ जाता है आइनों में नूर
सादगी ऐसी कि जल जाए जन्नत की हूर
‘अरमान’ बदल गई है ख़ुदाई खुदा की
ख़बर नहीं रही मुझको इस जहां की

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