ख़ामोशी की चादर अक्सर ओढ़ लेती है रात
कितनी तनहा है ये किससे करेगी बात
मुद्दतों से लगता है जैसे सोई नहीं
अंधेरों के सन्नाटे में कहीं खोई नहीं
मैं तो किसी की याद में जाग रहा हूँ
उजाले से अंधेरे की तरफ भाग रहा हूँ
तू किससे अपना मुंह छिपाती है
जो हर रोज नकाब ओढ़कर चली आती है
क्या तेरा भी कोई महबूब था
जिसे चाहा तूने खूब था
रात ने कहा मैं मजबूर हूं
खूबसूरत उजालों से दूर हूं
मेरा काम नींद को ख्वाब से मिलाना है
मेरी वजह से परवाना शमा का दीवाना है
तन्हाई का मारा मेरा साथी है
मेरे वजूद से ही दिये में बाती है
यादें सजातीं हैं मेरे आंगन में महफ़िल
खेलते रहते हैं जुगनू गोद में झिलमिल
जब बेदर्द दिन तुझे 'अरमान' सताता है
मेरे आगोश में आकर ही तू चैन पाता है...
कितनी तनहा है ये किससे करेगी बात
मुद्दतों से लगता है जैसे सोई नहीं
अंधेरों के सन्नाटे में कहीं खोई नहीं
मैं तो किसी की याद में जाग रहा हूँ
उजाले से अंधेरे की तरफ भाग रहा हूँ
तू किससे अपना मुंह छिपाती है
जो हर रोज नकाब ओढ़कर चली आती है
क्या तेरा भी कोई महबूब था
जिसे चाहा तूने खूब था
रात ने कहा मैं मजबूर हूं
खूबसूरत उजालों से दूर हूं
मेरा काम नींद को ख्वाब से मिलाना है
मेरी वजह से परवाना शमा का दीवाना है
तन्हाई का मारा मेरा साथी है
मेरे वजूद से ही दिये में बाती है
यादें सजातीं हैं मेरे आंगन में महफ़िल
खेलते रहते हैं जुगनू गोद में झिलमिल
जब बेदर्द दिन तुझे 'अरमान' सताता है
मेरे आगोश में आकर ही तू चैन पाता है...
एक से बढ़कर एक ..... बेहतरीन पंक्तियाँ
ReplyDeleteरचना की प्रशंसा के लिए सादर आभार मोनिका जी,,,
Deleteबहुत ही खूबसूरत सब्द विन्यास। हर पंक्ति छू जाती है।
ReplyDeleteसादर शुक्रिया आपका,,,
ReplyDeleteख़ामोशी की चादर अक्सर ओढ़ लेती है रात
ReplyDeleteकितनी तनहा है ये किससे करेगी बात...
Beautiful ..loved it !
Thank you vyas ji
Deleteबहुत सुन्दर अहसास हैं आपके....
ReplyDeletesaadar abhaar...
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