ख़्वाब का क्या... ख़्वाब हैं
चलो आज बिखरे हुए ख्वाब इकट्ठे किए जाएं
कुछ टूटे, कुछ फूटे,कुछ चकनाचूर ख़्वाब
जो कभी देखे थे बंद और खुली आंखों से
समेट कर उनमें से कुछ काम के निकाले जाएं
कुछ अधूरे हैं, कुछ धुंधले हैं
कुछ ज़रा से रह गए पूरे होने को
फिर झाड़ पोछ के इन्हें देखा जाए
शायद एक आध हों ऐसे
जिनको मंज़िल तक पहुंचाया जाए
उम्मीद कम है किसी के सलामत होने की
मेहनत का रंग तो आज भी वैसा है
पर वक्त का मिजाज़॒ रंगीन किया जाए
ख़्वाब का काम ही है टूटकर बिखर जाना
और चुभते रहना हमेशा-हमेशा के लिए
आंखों में
'अरमान' हैं जो हार नहीं मानते इनके बिखरने से
और समेट लेते हैं इन्हें दोबारा फिर टूटने के लिए...
..........अरमान.....
चलो आज बिखरे हुए ख्वाब इकट्ठे किए जाएं
कुछ टूटे, कुछ फूटे,कुछ चकनाचूर ख़्वाब
जो कभी देखे थे बंद और खुली आंखों से
समेट कर उनमें से कुछ काम के निकाले जाएं
कुछ अधूरे हैं, कुछ धुंधले हैं
कुछ ज़रा से रह गए पूरे होने को
फिर झाड़ पोछ के इन्हें देखा जाए
शायद एक आध हों ऐसे
जिनको मंज़िल तक पहुंचाया जाए
उम्मीद कम है किसी के सलामत होने की
मेहनत का रंग तो आज भी वैसा है
पर वक्त का मिजाज़॒ रंगीन किया जाए
ख़्वाब का काम ही है टूटकर बिखर जाना
और चुभते रहना हमेशा-हमेशा के लिए
आंखों में
'अरमान' हैं जो हार नहीं मानते इनके बिखरने से
और समेट लेते हैं इन्हें दोबारा फिर टूटने के लिए...
..........अरमान.....