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Wednesday, 22 August 2018

ख़ामोश रहे लब झुकते गए नैन

ख़ामोश रहे लब
झुकते गए नैन
बढ़ती गई धड़कन
लुटता गया चैन

महकते रहे फूल
सुलगती रही रात
उड़ता रहा वक़्त
निकलती गई बात

घबराया सा इश्क़
जाती रही जान
रौशन रही शमां
बुझते रहे ‘अरमान’
#अरमान

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