जो नज़र से कर गए क़त्ल सज़ा आज भी बाक़ी है
फ़ना होने को तो अब कुछ और न बचा
इबादत हो गई पूरी कज़ा आज भी बाक़ी है
ख़्याल से भी आपका ख़्याल नहीं जाता
इक यही जिंदगी का सवाल नहीं जाता
न जाने क्यों लगता है रज़ा आज भी बाक़ी है
इबादत हो गई पूरी कज़ा आज भी बाक़ी है
मेरे सीने में रेंगती हैं तेरी सांसें
खुद को ढूंढके अब लाऊं कहां से
'अरमान' लुट गए जज़ा आज भी बाक़ी है
इबादत हो गई पूरी कज़ा आज भी बाक़ी है
No comments:
Post a Comment