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Thursday 16 March 2017

पता नहीं कौन सी वो रात होगी 
जब आसमान में चांद होगा 
और हर तरफ चांदनी होगी 
मखमली हाथ छू रहे होंगे अहसासों को 
शरम-ओ-हया भी रुखसती की तैयारी में होगी 
तुम्हारी खूबसूरत सी बातूनी आंखे 
न जाने कितनी बातें कहने को बेताब होंगी 
धड़कते दिलों की सांसों में तपिश होगी 
जो पिघला रहे होंगे हर एक बंदिश  
मोहब्बत के समंदर की बेबाक मौजें 
जिसमें डूबने की हर पल चाहत होगी 
सोचता हूं, बाहों में सारे 'अरमान' भरके 
पूरा तेरा हर ख़्वाब कर दूं 
आसमां से सितारे चुनके तेरी मांग भर दूं...

2 comments:

  1. आमीन ... आपकी इच्छा पूरी हो ...
    भावपूर्ण और नाजुक शब्दों से गढ़ी रचना ....

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