www.hamarivani.com

Sunday 5 November 2017

सांसों से बोल दिया है

जज़्बातों से बोल दिया है 
परदा उठाएंगे जाना नहीं कहीं
रातों से बोल दिया है 
चांदनी जगाएंगे जाना नहीं कहीं
हवाओं से बोल दिया है 
फिज़ा महकाएंगे जाना नहीं कहीं
जश्न से बोल दिया है
 महफिल सजाएंगे जाना नहीं कहीं
अरमान से बोल दिया है 
इश्क फरमाएंगे जाना नहीं कहीं
सांसों से बोल दिया है
वो आएंगे जाना नहीं कहीं

No comments:

Post a Comment