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Sunday 3 June 2018

चलो आज लगाएं यादों का बाज़ार

चलो आज लगाएं यादों का बाज़ार
कोई तो मिल ही जाएगा ख़रीदार

पुरानी हैं तो दाम भी कम है
सलामत हैं यही क्या कम है

एक-एक के अब दाम कौन लगाए
कोई थोक में लेता हो तो बोली लगाए

बाज़ार ए इश्क़ में बड़ी चालबाज़ी है
छूके देखिए जनाब ये आज भी ताज़ी है

ले लो सस्ती हैं, नहीं क़ीमत ज़्यादा है
ताउम्र साथ रहेंगीं 'अरमान' का वादा है...
#अरमान

6 comments:

  1. जय मां हाटेशवरी...
    अनेक रचनाएं पढ़ी...
    पर आप की रचना पसंद आयी...
    हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
    इस लिये आप की रचना...
    दिनांक 05/06/2018 को
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की गयी है...
    इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

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  2. वाह!!बहुत खूब ।

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  3. चलो आज लगाएं यादों का बाज़ार
    कोई तो मिल ही जाएगा ख़रीदार---- क्या बात बहुत खूब प्रिय अरमान | बहुत ही सुंदर रचना है आपकी | सस्नेह शुभकामनाये |

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  4. बहुत खूब।
    मन का दर्द ।

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  5. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ११ जून २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/



    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

    निमंत्रण

    विशेष : 'सोमवार' ११ जून २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक के लेखक परिचय श्रृंखला में आपका परिचय आदरणीया शुभा मेहता जी से करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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  6. यादों का पिटारा सबका अपना अपना है ... बेच देने से भी चैन कहाँ मिलेगा ... वापस आ जाती हैं ये ...

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