चार आंखें
दो छतें
दो नज़रें
एक मोहब्बत,
उन पर लगीं
हज़ार नज़रें
दो आंखें
गुम हुईं,
दो नज़रें
करती रहीं
इंतज़ार
दो नज़रें भी
गुम हुईं,
अब कोई नज़र
नज़र नहीं आती
बची दो छतें
दोनों ख़ाली,
करती हैं
किसी नज़र का
इंतज़ार.....
और हज़ार नज़रें
अब ख़ाली छतों
को देखती हैं...
#अरमान
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