ऐ दुनिया तुझे किस बात का नशा तारी है
मेरी आंख के आंसू मेरे जिस्म से भारी हैं
ख़ुशनसीब हो जो मिल गया सबकुछ तुम्हें
न जाने किसने बख़्शी पैदाइशी लाचारी है
ये महफ़िलें, ये दावतें, ये रौनकें तुम्हारी
मेरे हिस्से में तो बस भूख और बीमारी है
मत कर घमंड इस क़दर ऐ 'अरमान'
आज मेरी तो कल तेरी भी बारी है...
#अरमान
No comments:
Post a Comment