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Sunday 3 June 2018

रिश्ते बनते हैं धीरे-धीरे

रिश्ते बनते हैं धीरे-धीरे
नाते बिगड़ते हैं धीरे-धीरे

रस्ते बदलते हैं धीरे-धीरे
लोग बिछड़ते हैं धीरे-धीरे

बात उड़ती है धीरे-धीरे
लोग सुनते हैं धीरे-धीरे

हवा चलती है धीरे-धीरे
पत्ते गिरते हैं धीरे-धीरे

रात जलती है धीरे-धीरे
शमा पिघलती है धीरे-धीरे

ख़्वाब आते हैं धीरे-धीरे
टूट जाते हैं धीरे-धीरे

'अरमान' जगते हैं धीरे-धीरे
ज़िंदगी बुनते हैं धीरे-धीरे

वक़्त गुज़रता है धीरे-धीरे
आदमी मरता है धीरे-धीरे...
#अरमान

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